Description
कृष्णा रेड्डी द्वारा लिखे गए भारत का इतिहास नामक पुस्तक के द्वितीय संस्करण की प्रस्तुति का प्रकाशन मैक्ग्रॉ – हिल एजुकेशन हेतु गौरव का विषय है जहाँ लेखक ने इस पुस्तक में विषय की अथाह विशेषताओं को देखते हुए इसमें निहित सभी विषय -वस्तुओं का विश्लेषणात्मक विवेचन किया है। यह पुस्तक सिविल सेवा की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षाओं, राज्य सेवा आयोग की परीक्षाओं एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु उपयोगी है जहाँ इतिहास एक महत्वपूर्ण भाग की स्थिति में होता है। इस नए संस्करण में सिविल सेवा एवं राज्य सिविल सेवा की परीक्षाओं के अद्यतन प्रारूप की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इतिहास की इस पुस्तक में जान डालने की कोशिश की गयी है। इस पुस्तक के प्राचीन इतिहास के खंड में संस्कृति नामक नए अध्याय का परीक्षोपयोगी ढंग से विवेचन प्रस्तुत है जिसमें इतिहास के विविध पहलुओं के सामाजिक -धार्मिक तथा सांस्कृतिक विकास एवं उसकी अवधारणा पर विस्तृत चर्चा की गयी है। इसके प्रत्येक अध्याय में निहित विषय वस्तु को और अधिक पठनीय एवं ग्राह्य बनाने हेतु यथासम्भव चार्टों /तालिकाओं का उपयोग किया गया है ताकि अभ्यर्थियों / पाठकों को इस विषय को पढ़ने में आनंद की अनुभूति हो। इसके अतिरिक्त इस पुस्तक को और अधिक परीक्षोपयोगी बनाने हेतु इसके प्रत्येक अध्याय में संबंधित परीक्षाओं के पूर्व वर्षों के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को तथ्यों के रूप में समावेशित किया गया है, जो अभ्यर्थियों के लिए गागर में सागर की तरह कार्य करे । प्रमुख आकर्षण:1. प्रस्तुत पुस्तक तीन खण्डों में विभाजित है : प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास 2. इतिहास की विविध विषय-वस्तुओं में निहित शुक्ष्म पहलुओं एवं महत्वपूर्ण तथ्यों को चिन्हांकित कर प्रस्तुत किया जाना 3. संस्कृति नामक नए अध्याय का संयोजन 4. प्रत्येक अध्याय का विश्लेषणात्मक विवेचन जिसमें सिविल सेवा के अतिरिक्त विभिन्न हिंदी भाषी राज्यों के राज्य सेवा की परीक्षाओं के सामान्य अध्ययन ( प्रारंभिक एवं मुख्य ) के अद्यतन सिलेबस का बखूबी ध्यान5. प्रत्येक अध्याय में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का समायोजन6. विषय से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाओं यथा व्यक्तियों,संस्थाओं,नदियों,पर्वों, संस्कृति की स्थितियों का वृहत तरीके से समायोजन 7. चार्टों /तालिकाओं के माध्यम से तथ्यों का प्रस्तुतीकरण 8. प्रस्तुत पुस्तक में संबंधित विषय की विषयवस्तु को विश्लेषित करते समय सरल,रोचक,स्पष्ट एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग |
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